ऋग्वेद में उल्लेखित शब्द

ऋग्वैदिक काल में बहुत से शब्दों का उल्लेख हमें देखने/पढ़ने को मिलता है। जिनमें कुछ शब्दों का उल्लेख ज्यादा बार हुआ है तो कई शब्दों का जिक्र बहुत कम बार। शब्दों के उल्लेख से हम ये अंदाजा लगा सकते हैं कि किसका महत्व ऋग्वेद में ज्यादा है। वैसे कभी-कभी इन शब्दों को परीक्षाओं में भी पूछ लिया जाता है। ऋग्वेद में उल्लेखित शब्द निम्नलिखित हैं….
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पिता — 335
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जन — 275
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इन्द्र — 250
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माता — 234
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अश्व — 215
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अग्नि — 200
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गौ (गाय) — 176
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विश — 170
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सोम देवता — 144
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विद्थ — 122
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विष्णु — 100
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गण — 46
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ब्रज गोशाला — 45
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कृषि — 33
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वरुण — 30
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वर्ण — 23
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सेना — 20
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ब्राह्मण — 15
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ग्राम — 13
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वृहस्पति — 11
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राष्ट्र — 10
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क्षत्रिय — 9
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समिति — 9
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सभा — 8
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यमुना — 3
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रूद्र — 3
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वैश्य — 1
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शुद्र — 1
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गंगा — 1
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राजा – 1
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पृथ्वी — 1
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ऋग्वेद में कुल 33 देवी-देवताओं का उल्लेख मिलता है जिसमें इन्द्र का उल्लेख सर्वाधिक (250) बार मिलता है। वेदों में इन्द्र को पुरन्दर अर्थात किले को जीतने वाला कहा गया है। वहीं अग्नि का उल्लेख 200 बार किया गया है और वेदों में अग्नि को भुवन का चक्षु एवं वरुण को ऋतस्य गोपा कहा गया है। ऋग्वेद में उल्लेखित शब्दों की वजह से ऋग्वैदिक काल में इन्द्र प्रमुख देवता थे जबकि उत्तरवैदिक काल में भगवान् प्रजापति को प्रमुख देवता माना गया है।
ऋग्वैदिक काल में सर्वाधिक उल्लेख कुम्भा नदी का है और सर्वाधिक स्तुति सिन्धु नदी का है जबकि सबसे पवित्र नदी सरस्वती थी। ऋग्वेद में यमुना नदी का उल्लेख 3 बार मिलता है एवं गंगा (जाहनवी) नदी का उल्लेख 1 बार (10 वें मण्डल में) मिलता है।
इस लेख में केवल हमनें ऋग्वेद में उल्लेखित शब्द की चर्चा की है। अगले लेख में हमलोग ऋग्वैदिक काल की नदियों की चर्चा करेंगे जिसमें नदियों के प्राचीन एवं वर्तमान नामों के बारे में हम जानेंगे।