ग़ज़ल

इस दौर को,इस दौर से,यही मिला सिला है

1.

सफर में, सफर को, सफर से ही गिला है,
हर बेखबर नजर को, खबर से ही गिला है ।
समंदर की लहर को, भंवर से ही गिला है,
इस दौर को,इस दौर से,यही मिला सिला है ।

2.
आकाश भी धरती से सिफारिश है कर रहा,
बिंदास है पर, वहमी, गुजारिश है कर रहा ।
जहां धूप है जरूरी, वहां छांव का किला है ,
इस दौर को, इस दौर से,यही मिला सिला है ।

3.
बेवफाई, बेअदब से, यूँ अपनी दे रही सफाई,
तनहाई, बेपरद हुई पगली, लग रही पराई ।
दीवानगी का क्या,वो खुद पे ही जलजला है,
इस दौर को,इस दौर से, यही मिला सिला है ।

4.
समय, समय से त्रस्त, असमय से डर रहा है,
आदित्य है अभिशप्त,अभ्युदय से डर रहा है ।
एक कालखंड से, एक पल का मुकाबला है,
इस दौर को, इस दौर से,यही मिला सिला है ।

5.
आईना भी हैरां है, कि सबके एक से हैँ चेहरे,
मुआईना बता रहा है सब शतरंज के हैं मोहरे ।
एक दर्द सा दुरुस्त, हर मंजर का सिलसिला है,
इस दौर को, इस दौर से,यही मिला सिला है ।

6.
सदमा भी है सौदाई, सपना बन के डराता है,
मजमा है बेहयाई, इसका अपना ही इरादा है ।
नवाजिश मे नजर आता, साजिश मे ये ढला है,
इस दौर को, इस दौर से, यही मिला सिला है ।

7.
जिंदगी का जिंदगी से, करार, ऐतबार उठ रहा,
ताजगी का दम इस सदी मे, बार-बार घुट रहा ।
कतरा के चल रहा, एहसासों का काफिला है,
इस दौर को, इस दौर से, यही मिला सिला है ।

8.
हर गम को भुलाने के, ढूंढने लगे हैं बहाने,
हम रूठने मनाने के लम्हें, लगे हैं गिनाने ।
आंकड़ो से भी भला किसी का हुआ भला है !
इस दौर को, इस दौर से, यही मिला सिला है ।

9.
कुशल खैर की, बस किरकिरी सी हो रही है,
गूगल पे गैर की, अदद चाकरी सी हो रही है ।
स्तब्ध नही कोई, प्रारब्ध पाप-पुण्य पे तुला है,
इस दौर को, इस दौर से, यही मिला सिला है ।

10.
बेवक्त, वक्त की परछाईं पर , हो रहा है हावी,
कमबख्त बेहयाई में भी, लग रहा है मायावी ।
हर शख्स अपने अक्स से ही, यूँ गया छला है,
इस दौर को इस दौर से, यही मिला सिला है ।

11.
कौन है सलाहकार, और कौन है गुनाहगार,
कौन है तीमारदार, और कौन है बरखुरदार ।
इस सवाल का जबाब, किसी को नही मिला है,
इस दौर को, इस दौर से,यही मिला सिला है ।

12.
हर पहर की दिख रही है, निगाह इतनी पैनी,
क्षण भर मे हो रही है, भूल चूक लेनी देनी ।
बर्बाद हो रहा, गावँ,शहर,कस्बा और जिला है,
इस दौर को, इस दौर से, यही मिला सिला है ।

13.
हसरत में इंसान ने सब ऐसे वैसे को खो दिया,
कुदरत भी है हैरान कि ये सब कैसे हो गया ।
खुदाई में, खुदा का, खुद से भी फासला है,
इस दौर को, इस दौर से, यही मिला सिला है ।

14.
बंद करो बेफजूल की, बांटनी ये जानकारी,
मत करो कबूल, वहमी नादानी में हिस्सेदारी ।
गुनाहगार हैँ हमीं, सब हमारा ही दाखिला है,
इस दौर को इस दौर से, यही मिला सिला है।

15.
चलो हम अपने इरादों की, मुहिम एक चलाएं
गम मे रवायतों की, हम, यूँ तौहीन ना कराएं ।
बचा लें हमारे हिस्से का, जो बाकी घोंसला है,
इस दौर को , इस दौर से, यही मिला सिला है

16.
ऐ काश कहीं किसी झोंके से, धुंध ये छंट जाये,
ये विनाश धोखे से, अपनी सुध से ही पलट जाए ।
मुमकिन है विधाता की ऐसी भी कोई लीला है,
इस दौर को, इस दौर से, यही मिला सिला है ।

17.
महंगा पड़ रहा है, आशिकी का आजमाना,
सस्ता,लड़ झगड़ रहा है,अय्यासी शायराना ।
बेखुदी में,उल्फत को, यही मिल रही सजा है,
इस दौर को, इस दौर से,यही मिला सिला है ।

सफर मे, सफर को, सफर से ही गिला है,
हर बेखबर नजर को, खबर से ही गिला है ।
समंदर की लहर को, भंवर से ही गिला है,
इस दौर को, इस दौर से, यही मिला सिला है ।

अशोक कुमार ओझा
8141161192

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